
उक्त अधिनियम का विस्तार सार्वजनिक सेवा भर्ती परीक्षाओं, नियमितीकरण या पदोन्नति परीक्षाएं, डिग्री डिप्लोमा, प्रमाण-पत्रों या शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की प्रवेश परीक्षा पर भी लागू होगा। फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाना इत्यादि भी दण्डनीय अपराध बनाये गये हैं । अधिनियम के प्राविधानों के उल्लंघन के लिये न्यूनतम दो वर्ष से लेकर आजीवन कारावास का दण्ड तथा एक करोड़ रूपये तक के दण्ड का भी प्राविधान किया गया है।
उक्त के अतिरिक्त यदि परीक्षा प्रभावित होती है, तो उस पर आने वाले वित्तीय भार को सॉल्वर गिरोह से वसूलने तथा परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली कम्पनियों तथा सेवा प्रदाताओं को सदैव के लिए ब्लैक लिस्ट करने का भी प्रावधान किया गया है ।
अधिनियम में अपराध की दशा में सम्पत्ति की कुर्की भी प्राविधानित की गयी है। अधिनियम के समस्त अपराध संज्ञेय, गैर जमानतीय एवं सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय एवं अशमनीय बनायी गयी है। जमानत के सम्बन्ध में भी कठोर प्राविधान -किये गये हैं।
'वर्तमान में विधानमण्डल के सत्र में न होने के कारण विधेयक के स्थान पर अध्यादेश का प्रस्ताव किया जाना समीचीन • होगा। अतः उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश, 2024 प्रख्यापित किये जाने के संबंध में प्रस्ताव किया गया है।
